एक सवाल जो सभी के मन में आता है वो ये है कि बुरी आदतों से कैसे छुटकारा पाया जाए ! बुरी आदते सभी में होती है कुछ लोगो में ये लत का रूप भी ले लेती है जैसे एक शराबी को शराब की लत लग जाना! वो जानता है कि शराब पीना गलत है लेकिन छोड़ नही पाता ! ऐसे ही एक कहानी है जिसमे एक आदमी योग के माध्यम से किस तरह अपनी बुरी आदत को छोड़ देता है
एक आदमी था जिसे शराब पिने की बुरी लत लगी हुई थी, ये बात उसके सभी दोस्त जानते थे कि ये चाहकर भी शराब पिने की लत को नही छोड़ सकता! दोस्तों की बात तो दूर वो खुद भी जानता था कि वह चाहकर भी शराब नही छोड़ पायेगा ! लेकिन उसने कोशिश की, उसने परमहंस योगानंद गुरूजी से योग क्रिया की दीक्षा ली, और उसका अभ्यास करने लगा और निरंतर योग और ध्यान करने का निश्चय किया, जिससे वह शराब जैसी बुरी लत से छुटकारा पा सके !उसे योग और ध्यान करता देख उसके दोस्तों ने उसका मजाक उड़ाया, सबने कहा कि “तुम शराब पिने की आदत नही छोड़ सकते ये बात तुम भली-भांति जानते हो तो फिर ये योग साधना करने का क्या अर्थ है”! तब उस आदमी ने कहा कि “में शराब छोड़ नही सकता लेकिन छोड़ने की दिशा में एक बार कोशिश तो कर ही सकता हूँ” !
बहुत कोशिशो के बाद भी वह शराब नही छोड़ सका, जब वह ध्यान करने बैठता तब उसके एक हाथ में शराब की बोतल और दुसरे हाथ में ध्यान के मोतियों की माला होती थी ! लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया उसका मन योग और साधना में इस तरह लगने लगा कि उसे उसके हाथ में रहने वाली शराब का ध्यान भी नही रहता था! फिर धीरे धीरे उसने बोतल भी हाथ में रखना छोड़ दी पूरी तरह से उसने शराब पीना छोड़ दिया !उसके बाद उसने कभी भी शराब को हाथ नही लगाया
छोटी-छोटी बुरी आदत
बुरी आदते 2 तरह की होती है
1) धुम्रपान, शराब पीना, व्यसन करना !ये आदते बुरी आदतों का चरम रूप है 2) दूसरी छोटी छोटी बुरी आदते होती है जैसे कुछ लोग अपने नाख़ून चबाते है, सोचते है कि हाथ दातो तक नही जाए लेकिन बात करते करते उनके हाथ के नाख़ून दातो के पास पहुच ही जाता है ! या फिर सोशल मिडिया पर ज्यादा टाइम बिताना ये भी एक बुरी आदत है!हम सभी जानते है कि हमारी कुछ न कुछ आदत बुरी है और उन्हें हम छोड़ना भी चाहते है लेकिन कैसे?
एक शराबी है उसे शराब छोड़ना है तब वह शराबी चिकित्सा केंद्र जाता है, सोशल मिडिया से ध्यान हटाने के लिए आप अपने मोबाइल में से Apps को डिलीट कर देते है, लेकिन क्या वास्तव में इन तरीको से आप अपनी बुरी लत से छुटकारा पा सकते है? बेशक कुछ दिनों या महीनो के लिए! लेकिन ये जड़ से खत्म नही होता है शराबी की ही बात ले लेते है शराब पीने की लत छोड़ने के लिए वह चिकित्सा केंद्र जाएगा लेकिन पिने की इच्छा तो उसके मन में होती ही है और वही इच्छा आपको कभी भी शराब छोड़ने नही देती! समय आने पर आप शराब को हाथ फिर से लगा ही लेते है ! आपकी स्वयं के प्रति जागरूकता भी दिमाग को अपने वश में करती है लेकिन इच्छा तो मन में होती है मतलब मन जड़ है और बुरी आदतों को मन से ही निकलना है ! और मन को सिर्फ योग, ध्यान और साधना से ही सम्भाला जा सकता है !
आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि ध्यान और योग से किस तरह बुरी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है इसके पहले हमे ये जानना जरुरी है की ये बुरी आदते लगती कैसे है –
इंसान को बुरी आदते कैसे लगती है
ये बात तो हम सभी जानते है की एक अच्छाई और बुराई में से सबसे ज्यादा आकर्षण बुराई में होता है मतलब बुरी बाते बहुत जल्दी किसी को भी अपने वश में कर लेती है !MIT शोधकर्ताओं के अनुसार, मस्तिष्क का प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स उन आदतों के पल पल नियंत्रण करता है जो किसी भी समय हमारे दिमाग में आजाती है और यही पर सारी योजनाये और विचार आते है!
जब भी आप किसी क्रिया को बार बार करते है तब वह आपके मस्तिष्क में अलग जगह बना लेती है और यह क्रिया ऑटोमेटिक हो जाती है, जब यह क्रिया ऑटोमेटिक होने लगती है तब आपके उस मस्तिष्क में नींद जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है और आपको पता ही नही चलता की आप उस क्रिया को कर रहे है ! कुछ समय होने के बाद ये क्रिया आपकी आदत बन जाती है और आपको पूरी तरह नियंत्रित कर लेती है जो अच्छी या बुरी केसी भी हो सकती है ! जैसे मेरी एक सबसे अच्छी आदत ये है कि में रात में ब्रश कर के सोता हूँ, ये मेरी आदत बन गया !
इस तरह आप जितना उस क्रिया को दोहराते है वह ऑटोमेटिक होती जाती है और जब एक बार ये कडियाँ आपके मस्तिष्क में बन जाए तो ये आसानी से नही टूटती! ज्यादातर बुरी आदते तनाव के कारण आती है जब हम थके हुए हो या बोझिल हो या तनाव में हो तब हम बुराई की और मुह मोड़ लेते है ! आप जानते है कि शराब और धुम्रपान गलत है लेकिन भावनात्मक रूप से आप इतने कमजोर हो जाते है कि आप गलत दिशा में चले जाते है और जब यह ऑटोमेटिक हो जाता है तो इस लिंक को तोडना बहुत मुश्किल हो जाता है !
जुडसन ब्रेवर ने प्रसिध्ह टेड टॉक में इसी बारे में कहा उनका कहना था की आपका मस्तिष्क एक पैटर्न तैयार करता है ट्रिगर>व्यवहार>इनाम! इसे हम इस तरह से समझ सकते है कि आप एक बुरी बैठक से बाहर आये, और सिगरेट पिने लगे उस समय तनाव आपका ट्रिगर था धुम्रपान आपका व्यवहार था और उससे मिलने वाला आनंद आपका इनाम था ! फिर अगली बार जब भी आप किसी बुरी बैठक का हिस्सा बनोगे तो आनंद पाने के लिए सिगरेट का ही सहारा लोइस तरह योग और ध्यान से करे बुरी आदतों को खत्म
योग और साधना की मदद से आप अपने अंदर होने वाले ट्रिगर, भावनाओं और कार्यो को कण्ट्रोल में कर सकते है! और जब आप स्वयं के प्रति जागरूक हो जाते है, तो बुरी आदतों से अपने आप दुरी बना लेते है
जब आप कुछ समय से ध्यान कर रहे हो तो आप जानते हो कि ऐसे दिन होते है जब आप शान्ति शान्ति और आनन्द महसूस करते है ! वही भागवत गीता में लिखा है ध्यान गतिविधि का उच्चतम रूप है जिसे कोई भी कर सकता है क्योकि ध्यान से जो मिलता है वह इस संसार के भोतिक सुखो से कही अधिक होता है ! जब तक आप ध्यान नही करेंगे तब तक आप इसके महत्व और इससे मिलने वाले आनंद को नही समझ सकेंगे! और जिस दिन से आप योग और ध्यान शुरू करेंगे उस दिन के बाद से आपको एक अलग ही आनंद की अनुभूति होगी !
Source : Reinventyourself
Image Source :IndiaTvNews
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