हिंदू धर्म एक धर्म ही नहीं अपितु एक बृहद सनातन चेतना है , जो अनंत काल से हर प्राण में अवस्थित है।
जो हिन्दू है , वह ही सत्य में इस पुण्य पावनी धरा का प्राण मय भाव है ।
जो अंत: करण की दुष्प्रवृतियों एवम् दुष्ट दुर्गुणों का नाश करके सनातन भाव से जीता है.वह ही हिन्दू है।
मैं हिन्दू हूं- समग्र सृष्टि के विभिन्न भाव में व्यापक एक समभाव ही हिन्दू धर्म है ।
मैं कुछ समय पूर्व जन्मा कोई इतिहास नहीं अनंत काल से प्राणवान हिन्द से सिंध तक विस्तीर्ण सनातन आर्य संचेतना हूं ।
हिन्दू धर्म के 6 साधना स्तंभ - वैष्णव संप्रदाय
- शैव संप्रदाय
- शाक्त संप्रदाय
- जैन सप्रदाय
- बौद्ध संप्रदाय
- सिक्ख संप्रदाय
किसी विषद तथ्य को हम कितना भी विषद और सूक्ष्म कर शब्दों में प्रस्तुत कर सकते है।
जैसे हिन्दू धर्म या हिन्दू धर्म की विशेषताएं जिनको पढ़ा जाना और लिखा दोनों ही अशक्त हैं , फिर भी किसी भी विषय को समझने के लिए उसके कुछ बाह्य वर्णन विशेष को ही देखा पढ़ा या सुना जाता है ।
इसलिए मैं मात्र उन पांच तथ्यों को ही प्रकाश लाना चाहूंगी जो ये सिद्ध करते हैं कि हिन्दू धर्म मात्र एक धर्म भाव विशेष ही नहीं अपितु समस्त विचारधाराओं का प्राण भूत जनक है।
१. हिन्द से सिंध प्रांत तक फैली यह देवमय और पितृ देव मय धरा ही हिंदुत्व का प्रतीक है
हिन्दू धर्म इस विश्व की आत्मा है आधार शिला है ।
जब हृदय रूपी धरा पर विविध भाव उत्पन्न होते हैं तो नाना प्रकार की विचारधाराओं का आविर्भाव होता है। पृथ्वी के अलग अलग भूभाग में अलग अलग भाव उत्पन्न हुए , जिन्हें आधुनिक समय में अनेक नाम रूप धर्म से जाना जाता है।
२. सात्विक और सत्य रूप से वेद भगवान और मनु ही समस्त धर्मों के मूल और आदि स्वरूप हैं ,
हिन्दू धर्म के प्रभाव के कारण समय समय पर आए महापुरुषों ने भिन्न भिन्न मत और उपदेश किए जिसके फलस्वरूप अन्यान्य धर्म देखने में आए।
३. इस समग्र भूमंडल का वर्णन अत्यन्त अवर्णनीय रहस्यों और घटनाओं से परिपूर्ण है । हर सदी में जन्मी एक घटना ने स्वयं को एक नवीन स्वरूप में देखा ।
सिंधु और सरस्वती नदी के बीच बसी जो सभ्यता थी जो कि इस पृथ्वी की एकमात्र पुरातन सभ्यता थी , इन्हीं सभ्यताओं के लोगों ने दुनियाभर में घूम कर विविध विचार धाराओं एवम् समाज की स्थापना की ।
४. ब्रह्मा इस सृष्टि के जनक उन्होंने मनु को इस सृष्टि पर भेजा और मनुष्य अर्थात मानव की उत्पत्ति हुई जो कि सात्विक और सद्गुणों से परिपूर्ण ।
राम , कृष्ण , बुद्ध गुरुनानक देव आदि जो सनातन धर्म एवम् हिन्दू संस्कृति के ईश्वर हैं ।
इस लिए भी हिन्दू धर्म सभी धर्मों का जनक है
५. जिस प्रकार एक पिता की चार संतानें या फ़िर अधिक
वे सभी काल के प्रभाव से अलग अलग रूप , मन ,मत एवम् अधिकार की भावना वाले हों ....यद्यपि उनका लक्ष्य एक हो किन्तु मार्ग भिन्न भिन्न हों ।
यही कारण है कि हिन्दू धर्म ही सभी धर्मों का आदि रूप जन्मदाता है ।
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