सरकारी नौकरी छोड़कर बन गया किसान, अनार उगाकर साल के 16 लाख रुपये कमा रहा है ये शख़्स

kamlesh left government job to be a farmer earns 16 lakh

सरकारी नौकरी के लिए छात्र कमरतोड़ मेहनत करते हैं. हमने अपने आस-पास कई तैयारी कर रहे छात्रों को देखा है, सबकुछ छोड़कर वे सिर्फ़ पढ़ाई में ही लगे रहते हैं. सरकारी दफ़्तरों में नौकरियां कम निकलती हैं और आवेदक लाखों होते हैं. हमारे यहां तो ये भी कहा जाता है कि एक बार सरकारी नौकरी लग गई तो लाइफ़ सेट है. और कोई ऐसी सरकारी, आरामदायक नौकरी छोड़ कर खेती-बाड़ी   करने लगे तो उसे आप क्या कहेंगे? ज़िला झालावाड़, गुजरात के कमलेश डोबरिया ऐसे ही एक शख़्स हैं. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर खेती-बाड़ी शुरु की.

ऐसे हुई शुरुआत

के लेख के अनुसार, कमलेश छुट्टियों में गांव जाते थे. गांव में ही उनकी मुलाकात खेती-बाड़ी करने वालों से हुई. बात-चीत के दौरान ही उनकी दिलचस्पी भी खेती मे बढ़ी और उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर खेती-बाड़ी करने का निर्णय लिया. किसान परिवार से आने वाले कमलेश को खेती में रुचि नहीं थी, वे पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे. उन्होंने पढ़ाई पर ही ध्यान दिया और इलेक्ट्रॉनिक्स से मास्टर्स करने के बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई. 1991 में उन्होंने बतौर जूनियर टेलिकॉम ऑफ़िसर नौकरी शुरु की. शुरुआत में कमलेश ने बाक़ी किसानों की तरह ही कपास, अरंडी की खेती की.

20 बीघा ज़मीन पर शुरु की खेती

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कमलेश ने बताया कि 1998 में ही उन्होंने तय कर लिया था कि खाली समय में वे खेती में क़िस्मत आज़माएंगे. हालांकि उनके पास खेती करने के लिए ज़मीन नहीं थी. सबसे पहले उन्होंने बचत के पैसों और कुछ रिश्तेदारों से मदद लेकर 20 बीघा ज़मीन ख़रीदी. कमलेश के शब्दों में, 'मैंने कभी खेती नहीं की थी लेकिन जब भी गांव जाता था तो किसानों से ज़रूर मिलता था. उनकी बातें सुनता था, उनसे अलग-अलग फसलों के बारे में जानकारी जुटाता था. इस तरह धीरे-धीरे खेती को लेकर मेरी दिलचस्पी बढ़ती गई.'

कड़ी मेहनत के बाद भी लाभ नहीं

kamlesh left government job to be a farmer earns 16 lakhDainik Bhaskar

खेती को लेकर कमलेश के पास जानकारी का अभाव था लिहाज़ा लगातार कड़ी मेहनत के बावजूद कुछ नतीजा नहीं निकल रहा था. नौकरी की वजह से भी वो खेती की तरफ़ पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे थे. कमलेश ने नौकरी छोड़ने का बड़ा निर्णय लिया और गांव आकर रहने लगे. गांव लौटकर उन्होंने पूरा ध्यान खेती पर दिया लेकिन फिर भी उम्मीदों के मुताबिक रिज़ल्ट्स नहीं आ रहे थे. पारंपरिक फसलों की खेती से सही कमाई नहीं हो रही थी.

ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग से आए अच्छे दिन

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इस सब के बीच ही कमलेश एक प्रगतिशील किसान से मिले और उन्हें ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग क बारे में पता चला. कमलेश ने भी खेती में केमिकल्स का प्रयोग बंद कर दिया, गाए खरीदी और गोबर से खाद बनाना शुरु किया. न सिर्फ़ केमिकल्स में लगने वाले पैसे बचे बल्कि कमलेश की ज़मीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी.

अनार बागवानी ने बदली क़िस्मत

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2017 तक कमलेश की खेती की समझ काफ़ी बढ़ गई थी और उन्होंने अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी लगवा लिया. 2018 में उन्होंन अनार बागवानी करने का निर्णय लिया. उन्होंने पहले अनार के 2000, फिर 1900 और फिर 700 पौधे लगाए. कमलेश ने फसल की मार्केटिंग की, सबसे पहले लोकल मंडियों में सप्लाई शुरु की और उसके बाद दूसरे शहरों तक भी अपनी फसल पहुंचाई.

अनार की खेती करके कमलेश को सालाना 16 लाख रुपये का मुनाफ़ा हुआ. अब वे अपनी ज़मीन पर अनार के अलावा अमरूद, कागज़ी नींबू और आंवले भी उगा रहे हैं.

अनार की खेती के लिए कुछ टिप्स

Pomegranate Farming

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु में अनार की खेती होती है. एक अनार के पौधे को पेड़ बनने में 3 से 4 साल तक का समय लगता है. एक अनार का पेड़ 25 सालों तक फल दे सकता है. रेतीली मिट्टी पर अनार की खेती बढ़िया होती है. ये एक ड्राई क्लाइमेट प्लांट है और इसीलिए ठंडे इलाकों में अच्छे से इसकी खेती नहीं होती. अनार के लिए फरवरी-मार्च का महीना सबसे बेहतर है. अनार के लिए भरपूर पानी की भी ज़रूरत होती है, गर्मियों में 5-6 दिन और सर्दी में हर 15 दिन में सिंचाई ज़रूरी है.

अनार लगाकर कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है.


Source:Indiatimes




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