आज के दौर में ज्यादातर अभिभावकों को इस बात की शिकायत होती है कि उनके बच्चे दिन-रात मोबाइल और टीवी में खोए रहते हैं। लेकिन, गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 साल के निसर्ग त्रिवेदी की कहानी कुछ हटकर है।
दरअसल, सातवीं में पढ़ने वाले निसर्ग को कोरोना महामारी के दौरान, स्कूल बंद होने के कारण जितना समय मिला, उसे उन्होंने मोबाइल गेम और टीवी के पीछे यूं ही बर्बाद करने के बजाय, अपने घर में ही एक बगीचा तैयार करने में लगाया।
आज उनके बगीचे में किडामारी, पारिजात, लाजमनी, कॉसमॉस जैसे 300 से अधिक पौधे हैं। खास बात तो यह है कि वह अपने पौधों को दूसरों को भी बांटते हैं और उसके बदले में किसी से एक रुपया भी नहीं लेते।
उन्होंने अपने पौधों को लगाने के लिए बेकार बर्तनों और बैग्स का इस्तेमाल किया है। उनका बगीचा 300 गज के दायरे में फैला हुआ है और कई तरह के तितलियों और पक्षियों का घर भी है।
कहां से मिली सीख?
जिस उम्र में बच्चों का पूरा ध्यान सिर्फ खेलकूद पर होता है, उस उम्र में निसर्ग को यह सीख अपने पिता भावेश त्रिवेदी से मिली, जो खुद एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं।
निसर्ग कहते हैं, “मेरे पिताजी अक्सर पर्यावरण से संबंधित किसी न किसी कार्यक्रम में जाते रहते हैं। मैं भी बचपन से ही, उनके साथ कई कार्यक्रमों में जाता रहा हूं। इस वजह से मुझे पेड़-पौधों से काफी लगाव हो गया।”
लॉकडाउन के दौरान, उनके घर में काफी प्लास्टिक्स जमा हो गई थीं जिसे देख निसर्ग को चिन्ता हुई कि ये सभी प्लास्टिक्स, कचरे के डिब्बे में ही जाएंगी औरफिर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगी।
इस समस्या का हल ढूंढने के लिए ही, निसर्ग ने बेकार प्लास्टिक को जमा करना शुरू कर दिया और तुलसी व पारिजात के 200 से अधिक पौधे लगाए। इससे उनका मनोबल काफी ऊंचा हो गया और उन्होंने आगे अलग-अलग तरह के पौधों को लगाने का फैसला कर लिया।
पक्षियों और तितलियों को आसरा देने की कोशिश
निसर्ग को पक्षियों और तितलियों से खास लगाव है और उन्हें जहां भी तितली दिखती है, उनका मन रंगों से भर जाता है। अपने घर में एक बार बागवानी की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने इंटरनेट पर जानकारियां इकठ्ठा करना शुरू कर दिया कि किस तरह के पौधों को लगाने से अधिक पक्षी और तितलियां आकर्षित होती हैं।
लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने इंटरनेट पर जानकारियां इकठ्ठा कर, ऐसे पौधों को लगाना शुरू किया, जिसकी ओर अधिक तितलियां आकर्षित होती हैं। इस कोशिश में उन्होंने किडामारी, लाजमनी, घुघरो जैसे कई पौधे लगाए और आज उनका छोटा-सा बगीचा 15 से अधिक तरह के तितलियों के अलावा, दर्जनों पक्षियों का भी घर है।
Source: The better india
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