भारत के 15 प्रगतिशील गाँव जो की इतने अच्छे हैं की वो आपको आपके शहर की याद भी नहीं आने देंगे

भारत एक कृषि प्रधान देश है और गावो में ही भारत की 70% आबादी निवास करती है जहा पर संस्कृति , रीती रिवाज और भी प्राचीन परम्पराए देखने को मिलती है | शहरी जीवन में जहा इतनी अधिक भाग-दौड़ देखने को मिलती है वही ग्रामीण जीवन बहुत ही शांत और संतुष्ट देखने को मिलता है |लेकिन कुछ गाँव ऐसे भी है जो समय के साथ साथ आगे बड़ रहे है नयी नयी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर ना ही सिर्फ अपने काम को आसान बना रहे है बल्कि समाज के सामने अपने पुरानी संस्कृति को बिना नुकसान पहुचाये एक ज्वलंत उदाहरण पेश कर रहे है आइये आपको उन गांवों के बारे में बताते है –


1) धरने (बिहार)

पटना से 80 किमी दूर जहानाबाद जिले के मखदूमपुर ब्लॉक के धरनई गांव में लोगो को शाम होने से पहले घर पहुचने की जल्दी होती थी क्योकि वहा बिजली नही थी शाम तक पूरा गाँव अँधेरे में डूब जाता था !बिजली की आपूर्ति के लिए वहा लोग डीजल आधारित जनरेटर का इस्तेमाल करते थे जो महंगा भी था और खतरनाक भी !लेकिन अब वहा ऐसा नही है अब वह सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाला भारत का पहला गाँव है ! साल 2014 में ग्रीनपीस के सौर ऊर्जा से संचालित 100 किलोवाट माइक्रोग्रीड शुभारम्भ के बाद से यहा बिजली की आपूर्ति की जा रही है !

2) पय्विहिर (महाराष्ट्र)

पय्विहिर गाँव महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मेलाघाट क्षेत्र के तलहटी में स्थित है ! साल 2014 में सामुदायिक वन अधिकार में पड़ी 182 हेक्टेयेर भूमि को, जंगल में बदलने के लिए “सयुक्त राष्ट्र के विकास में जैव विविधता लाने के लिए” पुरुस्कार प्राप्त किया , उन्होंने समाज के सामने ये उदाहरण पेश किया कि समुदाय और गैर सरकारी संगठन आपस में मिलकर पर्यावरण का संरक्षण कर सकते है और ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका सुनिश्चित कर सकते है !

3) हिवरे बाज़ार (महाराष्ट्र)

महारष्ट्र के अहमदनगर के हिवरे गाँव में 1989 में पहाड़िया खेत सब बंजर हो चुके थे !लोगो के पास रोजगार भी नही था! आवश्यक सामग्री के आभाव में लोग वहा से पलायन करने लगे !तब गाँव के लोगो ने मिलकर गाँव पेड़ कटाई पर रोक , जल सरक्षण हर घर में शोचालय , नशाबन्दी जेसी मुहीम शुरू की ! जल संरक्षण के लिए बड़ी संख्या में वाटरशेड बनवाए व कुएँ खुदवाए, पानी आया तो खेतों में फसलें लहलहाने लगीं, हरियाली भी आई। आज वह एक समृद्ध गाँव है यहाँ एक भी व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे नहीं है। यहाँ ढूँढने से भी मच्छर नहीं मिलेंगे।

4) ओडानथुराई (तमिलनाडु)

ये गाँव एक दशक से अन्य गांवों के लिए एक आदर्श गाँव बना हुआ है गाँव की पंचायत की वजह से यहा सिर्फ गाँव के लिए ही बिजली का उत्पादन नही होता बल्कि यहा की पंचायत द्वारा सरकार को बिजली बेचीं जाती है ! अब तक यह गांव करीब 2 लाख यूनिट बिजली बेच चुका है जबकि राज्य में उत्पापदन 6.75 लाख यूनिट का है! एक वर्ष में बिजली बेचकर गांव के हिस्सेक हर साल करीब 20 लाख रुपए आ रहे हैं ! इस समय यहां पर करीब 4.75 लाख यूनिट्स हैं !


5) चिजामी (नागालेंड)

नागालेंड के फेक जिले का एक छोटा सा गाँव चिजामी पिछले एक दशक से सामजिक, आर्थिक सुधारो और पर्यावरण सुधार के मामले में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है यह छोटा सा गाँव तब सुर्खियों में आया था जब North-East Network (NEN) ने नागालैंड के चिज़ामी गाँव की सफलता के लिए काम करना शुरू कर दिया था। यह स्थानीय स्तर पर रहने वाली महिला की गुणवत्ता में सुधार के लिए समर्पित रूप से काम कर रहा है। NEN पारंपरिक वस्त्र और जैविक खेती करके क्षेत्र में अवसर पैदा करता है जो वास्तव में शहरों से काट दिया गया है।

6) गंगादेवीपल्ली (आंध्रप्रदेश)

आंध्रप्रदेश प्रदेश के वारंगल जिले का एक गाँव गंगादेवीपल्ली, अगर गाँव को अपने गाँव नया मॉडल बनाना है तो गंगादेवीपल्ली की तरह बनाना चाहिये ! यहा पक्की रोशनदार सड़के, नियमित बिजली आपूर्ति, शौचालय, जल आपूर्ति के साथ हि एक नियमित जल निस्पंदन संयंत्र, एक समुदाय के स्वामित्व वाली केबल टीवी सेवा है यह सामूहिक रूप से निर्धारित लक्ष्यों के प्रति सद्भाव स्थापित कर रहा है!

7) कोकरेबेलूर (कर्नाटक)

कर्नाटक के मद्दुर ताल्लुक के एक छोटे से गाँव कोकरेबेलूर ने इस बात का उदाहरण दिया है कि पक्षी और मनुष्य कैसे पूर्ण सामंजस्य बना सकते हैं। यहा के लोग पक्षियों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और घायल पक्षियों को आराम करने के लिए एक छोटा सा क्षेत्र भी बनाया है। यहा पक्षी इस तरह से है की आप उनके बहत्त करीब भी जा सकते है ! पर्यटकों के आकर्षण का ही ग्रामीणों और प्रवासी पक्षियों के बीच इस अनोखे रिश्ते की कहानी को बताता है ! ग्रामीण पक्षियों को गांव के लिए सौभाग्य और समृद्धि का कारण मानते हैं !

8) खोनोमा (नागालैंड)

यह नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है! कुछ समय पहले ग्रामीण जानवरों का शिकार करते थे बड़ी संख्या में इन पक्षियों की हत्या ने वन जीवन संरक्षणवादियों और गांव के बड़े-बुजुर्गों को कदम उठाने के लिए प्रेरित किया !उनके प्रयास से यहां लोगों ने शिकार छोड़ वन्य जीव संरक्षण में उनका साथ देना शुरू किया यहां लकड़ी के लिए लोग पेड़ों को ना काटकर सिर्फ उनकी शाखाओं को ट्रिम करते हैं और उसी से फ़र्नीचर आदि ज़रूरत की वस्तु का निर्माण करते हैं. आज यह गाँव हरियाली से समर्द्ध है ! यहा टूरिस्ट भी आते है लोग उन्हें यहा की कहानी बताते है और घर में आश्रय भी देते है!

9) पुंसारी (गुजराती)

इस गाँव के विकास के 2 मूल आधार है 1) पानी 2) रोजगार ! इस गांव में क्लोज्ड-सर्किट कैमरा, वाटर प्यूरीफाइंग प्लांट, बायोगैस प्लांट, वातानुकूलित स्कूल, वाई-फाई, बायोमेट्रिक मशीन , अनेक सुविधाऐं हैं ! पुंसरी को गुजरात में सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत होने का पुरस्कार मिला!

10) रामचन्द्रपुर (तेलंगाना)

2004-05 में भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय Dr. APJ अब्दुल कलाम द्वारा निर्मल पुरूस्कार सम्मानित इस गाँव ने भी अन्य गाँवों की अपेक्षा अपने गाँव में बदलाव किया! कुछ समय पहले यह गाँव तब सुर्खियों में आया जब गाँव वालो ने मिलकर नेत्रहीनो को आँखे दान करने का संकल्प लिया ! इस गाँव में शोचालय, जल और नल के साथ ही साथ घरो में धुँआ रहित चूल्हे का निर्माण करवाया !जल निकासी की व्यवस्था कुछ इस प्रकार की, कि घरो से निकलने वाला पानी सीधे बगीचे में पंहुच जाता है !यह राज्य का पहला ऐसा गाँव बना जहा नदी की उपसतह पर बांध का निर्माण करवाया गया है !

11) मावलिननौंग (मेघालय)

साफ़ सफाई के लिए जाना जाने वाला यह गाँव, समुदाय आधारित इको-टूरिज्म की पहल है यह समुदाय में गाँव को स्वच्छ बनाने का काम करता है ! यहा फूलो से लदे स्पॉटलेस रास्ते, जरूरी जगहों पर रखे बॉस के डस्टबिन, सडको की सफाई के लिए स्वयंसेवक कर्मचारी है और पोलीथिन पर सख्त बैन लगा दिया गया है ! मानसून के समय यह गाँव काफी सुन्दर लगता है ! झरने छोटी छोटी धाराओं का मार्ग प्रशस्त करते है और इस गाँव की सुन्दरता को बढ़ाते है !

12) पिप्लंत्री (राजस्थान)

“बेटी बचाओ बेटी पड़ाओ” ये अभियान सरकार चला ही रही है लेकिन इस गाँव की ख़ास बात यह है की यहा बेटियों के जन्म पर खुशिया मनाई जाती है, इस गाँव ने यह संकल्प लिया कि एक लड़की होने पर 111 पेड़ लगाए जायेंगे और ये पेड़ बेटियों की तरह ही सुन्दर होंगे, और तो और उनकी उचित शिक्षा, सम्मानजनक आजीविका का भी पूरा ध्यान दिया जाता है ! यह गाँव रोजगार के अवसर बढाने के साथ साथ महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण सरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है !

13) एराविपेरूर (केरला)

जिस समय यह सोचा जा रहा था कि प्रोद्योगिकी को कैसे देश के हर कोने में ले जाया जाए, कैसे डिजिटल इंडिया के प्रोजेक्ट को आगे बढाया जाए, उस समय ही इस गाँव की ग्राम पंचायत ने गाँव में आम जनता के लिए मुफ्त Wifi की सुविधा शुरू कर दी, यह केरल की पहली ग्राम पंचायत थी जिसने इस गति को बढावा दिया ! ग्राम पंचायत ने गरीबो के लिए मुफ्त उपमाशक देखभाल योजना भी शुरू की ! यह राज्य की पहली ग्राम पंचायत है जिसे अपने प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र के लिए ISO-9001 Certificate प्राप्त हुआ !

14) बघुवर (मध्यप्रदेश)

मध्यप्रदेश का एक छोटा सा गाँव बघुवर आजादी के बाद से ही बिना पंचायत के समृद्ध और खुशहाल है यहा बायोगैस सयंत्र है इससे उत्पादित गैस का उपयोग खाना पकाने के इंधन के रूप में और गाँव को रोशन करने के लिए किया जाता है ! प्रत्येक घर में शौचालय है और गाँव में एक शौचालय परिसर भी है जिसका उपयोग कोई भी कर सकता है ! वर्षा के जल और जल संरक्षण के लिए जागरूक होने की वजह से इस गाँव में कभी सूखे की समस्या नही होती !

15) शिक्दामाखा (असम)

गोवाहाटी के पास ये गाँव स्वछता अभियान के लिए जाना जाता है और अन्य गाँव को स्वच्छता के लिए पीछे छोड़ना चाहता है उनसे स्वच्छता के लिए प्रतिस्पर्धा करता है !यहा खुले में शोच पर भी पाबंदी कर दी गयी है ! यह एक स्वच्छ जहा पोलीथिन का उपयोग नही होता है और जल, रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था हो इस तरफ हमेशा कदम बढाने के लिए अग्रसर है !

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