राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा था, 'मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है...'
मेहनत और धैर्य से इंसान हर मकाम हासिल कर सकता है. सच्ची लगन हो, खुद पर भरोसा हो तो कोई भी शख़्स, फ़र्श से अर्श तक पहुंच सकता है. ओड़िशा की दमयंती मांझी (Damyanti Manjhi).
21 की उम्र में रचा इतिहास
पहली बार लड़ा चुनाव और जीत गई
Dainik Bhaskar
दमयंती की ये जीत कई वजहों से ख़ास है. वो न तो किसी राजनैतिक परिवार से आती है और न ही उसने पहले कभी चुनाव लड़ा है. संथाल आदिवासी समुदाय की दमयंती जगतपुर-बलीसाही झुग्गी में रहती है. रैवनशॉ विश्वविद्यालय से एम.कॉम कर रही है.
झुग्गी में पली-बढ़ी दमयंती ने बीते 24 मार्च को हुए चुनाव में जीत हासिल की और कटक की सबसे कम उम्र की डिप्टी मेयर बन गई.
The Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक बीते गुरुवार को दमयंती को डिप्टी मेयर चुना गया. बीजेपी और कांग्रेस के कॉर्पेटर चुनावी प्रक्रिया से नाखुश थे और विरोध जताते हुए बाहर निकल गए जिसके बाद दमयंती को डिप्टी मेयर की कुर्सी मिली.
पिता नहीं हैं, मां ने मज़दूरी कर पढ़ाया
Odisha TV
दमयंती के पिता का देहांत 5 सालपहले हो गया. पिता के गुज़रने के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी दमयंती और उसकी मां पर आ गई.. दमयंती और उसकी मां ने मेहनत-मज़दूरी कर परिवार का पालन-पोषण किया.
राजनीति नहीं है पहली चॉइस
Orissa Post
दमयंती ने नगर निगम चुनाव से पहले राजनीति में किसी भी तरह से सक्रिय नहीं थी. उसने बताया कि राजनीति उसकी पहली चॉइस नहीं है. कटक डिप्टी मेयर का चुनाव उसका पहला चुनाव था. यही नहीं. वो छात्र राजनीति का हिस्सा भी नहीं थी.
दमयंती अपने क्षेत्र की समस्याओं से परिचित थी और बीजेडी के नेताओं को ये गुण भा गया. दमयंती अब अपने क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती है, लोगों की समस्याओं को सुलझाना चाहती है.
Source: Indiatimes
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