16 साल के शतरंज खिलाड़ी आर प्रगाननंदा ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में नॉर्वे के वर्ल्ड चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को हरा कर रातों-रात स्टार बन गए हैं.
विश्वनाथन आनंद और पी हरिकृष्णा के बाद प्रगाननंदा ऐसे तीसरे भारतीय हैं जिन्होंने विश्व चैंपियन कार्लसन को हराया है. ऐसे में हर कोई हमारे नए चैंपियन प्रगाननंदा के बारे में जानना चाहता है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे शुरू हुआ प्रगाननंदा के शतरंग का सफर और कैसे वो यहां तक पहुंचे?
3 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया
बहन से मिली शतरंज खेलने की प्रेरणा
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प्रगाननंदा की बड़ी बहन 19 वर्षीय वैशाली भी एक महिला ग्रैंडमास्टर हैं. उन्होंने जब एक टूर्नामेंट जीता तब उनकी रूचि इस खेल के प्रति काफी बढ़ गई. इसके बाद उन्हें देख कर भाई प्रगाननंदा ने भी ये खेल खेलना शुरू किया. प्रगाननंदा के पिता रमेशबाबू पोलियो से ग्रसित हैं तथा एक बैंक में कार्यरत हैं.
ज्यादा टीवी ना देखें इसीलिए सिखाया शतरंज का खेल
पहले भी रच चुके हैं इतिहास
नार्वे के मैग्नस कार्लसन को हरा कर भले ही चेन्नई के प्रगाननंदा आज सुर्खियों में आए हों लेकिन उन्होंने 2018 में भी इतिहास रचा था. इस साल इन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया. इसके साथ ही प्रगाननंदा यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के और उस समय दुनिया में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे. फिलहाल प्रगाननंदा सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर की सूची में पांचवें स्थान पर हैं.
क्रिकेट के शौकीन हैं प्रगाननंदा
शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद के प्रशंसक प्रगाननंदा को शतरंज के अलावा दूसरा कोई खेल पसंद है तो वो है क्रिकेट. तभी तो उन्हें जब भी समय मिलता है तो वह मैच खेलने के लिए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 16 साल के इस भारतीय ग्रैंड मास्टर ने मैच से रिलैक्स के लिए भारत और वेस्टइंडीज के बीच तीसरा और आखिरी टी20 मैच देखा था, जहां भारत ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद ही वह कार्लसन के खिलाफ शतरंज की बाजी खेलने उतरे थे जहां उन्होंने जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया.
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